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ग्रामीण से बने शहरी, लेकिन मोहल्ले में आज भी नहीं है मूलभूत सुविधाएं।



नगर पंचायत ढकवा का गठन वर्ष 2020 में किया गया। इस नगर पंचायत में कुल 14 वार्ड हैं और इसकी आबादी 28 हजार से अधिक है। नगर पंचायत का गठन होने से पहले इसे ढकवा बाजार के नाम से जाना जाता था और इसमें शामिल मोहल्ले अलग अलग ग्राम पंचायत के नाम से जाने जाते थे। नगर पंचायत ढकवा जिले की पट्टी तहसील में जौनुपर और सुलतानपुर की सीमा से सटा है। वर्ष 2020 में जब नगर पंचायत अस्तित्व में आई तो इसमें शामिल परिवार विकास को लेकर बेहद उत्साहित थे लेकिन यह उत्साह अब ठंडा पड़ चुका है। कारण चार वर्ष बाद भी मोहल्ले वालों को बिजली, पानी, सड़क जैसी बुनियादी सुविधाएं नहीं मिल सकी हैं। मोहल्लों में स्ट्रीट लाइट नहीं होने से अंधेरा छाया रहता है। सबसे बड़ी समस्या जलनिकासी को लेकर है। नाला नहीं होने से मोहल्लों में जगह जगह गंदा पानी जमा होता है। नालियां बजबजाती रहती हैं। बिजली का पोल नहीं होने से लोगों ने बांस-बल्लियों पर केबल दौड़ाया है। पोल के ढीले तार अक्सर टूटकर गिर जाते हैं जिससे कभी भी बड़ा खतरा हो सकता है। मोहल्ले वालों ने बताया कि जलनिकासी की सुविधा नहीं होने से मामूली बारिश होते ही जलभराव हो जाता है। कई मोहल्लों में रास्ते पर पानी भरा रहता है। सबसे बड़ी समस्या निराश्रित गोवंशों से है, जरा सी चूक होने पर यह हमारे खेत में खड़ी फसलों को चौपट कर देते हैं।

किराए के भवन में संचालित हो रहा है कार्यालय
चार वर्ष पहले गठित नगर पंचायत ढकवा को कार्यालय के लिए अभी तक अपना खुद का भवन नहीं मिला है। ऐसे में पूरा मोहल्ले में किराए के मकान में नगर पंचायत का कार्यालय संचालित किया जा रहा है। स्थायी कार्यालय नहीं मिलने तक मोहल्ले वालों को इसी कार्यालय में जाकर अपनी शिकायतें दर्ज करानी पड़ती हैं।

अंधेरे में गुम हो जाते हैं मोहल्ले के रास्ते

बिजली के पोल सहित मोहल्ले में स्ट्रीट लाइटें नहीं लगाई गई हैं जिससे शाम होते ही मोहल्ले की सड़कें अंधेरे में गुम हो जाती हैं। नतीजा पैदल चलने वालों के लिए मुश्किल बढ़ जाती है। खरीदारी करने के लिए बाजार गईं महिलाएं जल्द से जल्द खरीदारी कर घर लौटना चाहती हैं। कच्चे और ऊबड़ खाबड़ रास्तों से गुजरना भी आसान नहीं माना जाता।

बाजार में बना शौचालय भी है बेहद जर्जर
नगर पंचायत ढकवा का बदहाल शौचालय।

नगर पंचायत की मुख्य बाजार वाराणसी-लखनऊ राजमार्ग पर स्थित है। यहां आम जनमानस के लिए बनाया गया शौचालय बेहद जर्जर दशा में है। इसी तरह पेयजल के लिए लगाए गए इडिया मार्का हैंडपंप खराब चल रहे हैं। मुख्य बाजार में पानी और शौचालय की सुविधा नहीं होने से लोगों को बहुत समस्या होती है।

लटकते तार से रहता है हादसे का भय
नगर पंचायत ढकवा के एक मोहल्ले में पेड़ के सहारे विद्युत तार खींचा गया। बांस के सहारे कई मोहल्लों के लोग घर तक बिजली का केबल ले गए।

नगर पंचायत के अधिकतर मोहल्लों में विद्युतीकरण अधूरा है। लोग बिजली के पोल से अपने घरों तक तार ले जाने के लिए बांस बल्लियों का सहारा लेते हैं। लोगों ने मनमाने तरीके से बांस और बल्लियों के सहारे बिजली का तार खींचा है जो कभी भी बड़े हादसे का कारण बन सकता है।

अधिकांश मोहल्लों में भर जाता है पानी

मोहल्ले में जलनिकासी की नालियां नहीं होने से सीवेज सिस्टम पूरी तरह से ध्वस्त है। मामूली बारिश होने पर भी मोहल्ले में जलभराव हो जाता है। यही नहीं आम दिनों में भी मकानों से निकलने वाला गंदा पानी सड़क किनारे बहता रहता है। हैंडपंपों से निकलने वाला पानी भी सोख्ता नहीं होने से मोहल्ले में ही भर जाता है।

आपसी खींचतान में प्रभावित हो रहे विकास कार्य

नगर पंचायत ढकवा गठित होते ही विवादों में घिर गई थी। हालांकि मोहल्ले वालों का मानना था कि नगर पंचायत का चुनाव होने के बाद निर्वाचित अध्यक्ष और वार्ड सदस्य आपसी तालमेल से नवसृजित नगर पंचायत में तेजी से विकास कार्य कराएंगे लेकिन हुआ इसका उल्टा। चुनाव के बाद से यहां विवाद और गहरा हो गया। मोहल्ले के वार्ड सदस्यों से बिना प्रस्ताव लिए ही मनमाने तरीके से धनराशि निकालने तो कभी बोर्ड की बैठक को लेकर यहां विवद होते रहते हैं। यही कारण है कि शासन से विकास के लिए धनराशि मिलने के बाद भी लोग मूलभूत सुविधाओं के लिए मशक्कत कर रहे हैं।

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