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पूर्व मंत्री मोती सिंह की 'मिडनाइट एंट्री' से सुलझा मेला विवाद।


पट्टी, प्रतापगढ़।
रामलीला समिति और कोतवाली पुलिस के बीच चल रहा गहरा विवाद शनिवार देर शाम पूर्व कैबिनेट मंत्री मोती सिंह के हस्तक्षेप के बाद आखिरकार सुलझ गया। पट्टी के ऐतिहासिक दशहरा मेले के आयोजन पर मंडरा रहे अनिश्चितता के बादल अब छंट चुके हैं, और कल से मेला अपने निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार ही लगेगा। हालाँकि, समिति की मुख्य मांग—कोतवाल के तत्काल तबादले—पर पूर्ण सहमति नहीं बन पाई, लेकिन प्रशासनिक आश्वासन और पूर्व मंत्री की गारंटी के बाद समिति ने अपना विरोध वापस ले लिया है।

पूरे दिन छाया रहा तनाव, देर शाम बढ़ी गंभीरता

​रामलीला समिति और कोतवाल अभिषेक सिरोही के बीच उपजा विवाद शनिवार को दिनभर क्षेत्र में तनाव का मुख्य कारण बना रहा। रामलीला समिति अपनी धार्मिक और सांस्कृतिक आस्था के प्रतीक मेले के आयोजन को लेकर पुलिस के कथित असहयोगात्मक रवैये से नाराज़ थी और कोतवाल के तबादले की मांग पर अडिग थी। स्थिति तब और गंभीर हो गई जब देर शाम तक कोई समाधान नहीं निकला।

पूर्व मंत्री की इमरजेंसी लैंडिंग और हाई-लेवल मीटिंग

​मामले की गंभीरता को देखते हुए, क्षेत्र के कद्दावर नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री मोती सिंह को खुद पट्टी आना पड़ा। उन्होंने तत्काल सीओ ऑफिस में एक हाई-लेवल मीटिंग बुलाई। इस बैठक में अपर पुलिस अधीक्षक पूर्वी, एसडीएम पूर्णांशु मिश्रा, सीओ मनोज कुमार सिंह रघुवंशी, तहसीलदार पवन कुमार सिंह के साथ-साथ रामलीला समिति के प्रमुख पदाधिकारी मौजूद थे।

​करीब 45 मिनट तक गहन और बंद कमरे की वार्ता चली। जहाँ प्रशासन शांतिपूर्ण समाधान के लिए प्रयासरत था, वहीं समिति का दबाव कोतवाल को तत्काल हटाने पर बना रहा।

कोतवाल मेले से दूर, अलग चौकी होगी स्थापित: मंत्री का निर्देश

​गहन विचार-विमर्श के बाद, पूर्व मंत्री मोती सिंह ने स्पष्ट और अंतिम निर्णय देते हुए गतिरोध को तोड़ा। उन्होंने मेला समिति को निर्देश दिया कि:

  • ऐतिहासिक दशहरा मेला पूर्व निर्धारित तिथि और कार्यक्रम के अनुसार ही आयोजित किया जाएगा।
  • ​विवादों के केंद्र में रहे कोतवाल अभिषेक सिरोही मेले से पूरी तरह दूर रहेंगे और उनकी कोई भागीदारी नहीं होगी।
  • ​मेले की सुरक्षा और व्यवस्था के लिए एक अलग और विशेष चौकी स्थापित की जाएगी।
  • ​कोतवाल सिरोही के विरुद्ध आरोपों की जाँच होगी और उचित कार्रवाई का भरोसा भी दिया गया।

जनता से सीधा संवाद: "सम्मान से समझौता नहीं"

​रात करीब 10 बजे, पूर्व मंत्री ने सीओ ऑफिस से बाहर निकलकर क्षेत्र की जनता और रामलीला समिति के सदस्यों से सीधा संवाद किया। उन्होंने भावुक होते हुए कहा, "पट्टी की आस्था, परंपरा और सम्मान से किसी भी कीमत पर समझौता नहीं होगा। प्रशासन और सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि दोषी पर कार्रवाई हो और हमारा ऐतिहासिक मेला शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हो।"

मायूस दिखे समिति सदस्य, पर विवाद का पटाक्षेप

​भले ही पूर्व मंत्री के हस्तक्षेप से सबसे बड़ा गतिरोध—मेला आयोजन का मार्ग प्रशस्त हुआ—लेकिन मेला समिति के कई सदस्य अपनी प्राथमिक मांग यानी कोतवाल के तत्काल तबादले को पूरी तरह स्वीकार न किए जाने से मायूस दिखाई दिए।

​बावजूद इसके, प्रशासनिक निर्णयों और एक उच्च-स्तरीय राजनैतिक हस्तक्षेप से यह पुष्टि हो गई है कि पट्टी का ऐतिहासिक दशहरा मेला कल से अपने पूरे वैभव के साथ लगने जा रहा है, जिसने क्षेत्रवासियों को बड़ी राहत दी है।

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