गांव के विकास की धड़कन माने जाने वाला पंचायत भवन जब उपेक्षा का शिकार हो जाए, तो विकास की गति का रुकना तय है। विकास खंड आसपुर देवसरा की ग्राम पंचायत भांटी कला में यही स्थिति देखने को मिल रही है। सरकारी योजनाओं और करोड़ों के बजट के बावजूद पंचायत भवन लावारिस हाल में पड़ा है। नतीजा यह है कि गांव की "विकास एक्सप्रेस" पूरी तरह से बेपटरी हो गई है।भांटी कला ग्राम पंचायत की आबादी लगभग साढ़े तीन हजार है। आसपुर देवसरा मुख्यालय से करीब सात किलोमीटर की दूरी पर स्थित यह गांव प्रशासनिक लापरवाही का जीवंत उदाहरण बन गया है। पंचायत भवन को सेक्रेटरी और ग्राम प्रधान ने देखरेख से बाहर छोड़ दिया है, जिसके चलते भवन के कमरों में आसपास के लोग लकड़ी, कूड़ा-करकट व घरेलू सामान रखकर कब्जा किए हुए हैं।
गांव में लाखों रुपये की लागत से बनाए गए पंचायत भवन और सामुदायिक शौचालय अब खंडहर बन चुके हैं। शौचालयों के दरवाजे और सीटें टूटकर गायब हैं। पंचायत सहायक की नियुक्ति और मानदेय का भुगतान होने के बाद भी कार्यालय में किसी प्रकार की गतिविधि नहीं हो रही है।
बिजली अब भी सपनों में
गांव के 18 ऐसे परिवार हैं जो आज भी ढिबरी और लालटेन के सहारे जिंदगी गुजार रहे हैं। इन परिवारों में अधिकांश दलित और अल्पसंख्यक वर्ग से हैं। बिजली निगम के रिकॉर्ड में भांटी कला पूरी तरह विद्युतीकृत बताया गया है, लेकिन हकीकत यह है कि छह महीने पहले लगाए गए बिजली के पोल आज तक बिना तार के खड़े हैं।
"हर घर नल से जल" योजना के तहत गांव में पेयजल टंकी और पाइपलाइन का निर्माण किया गया, लेकिन एक साल गुजर जाने के बाद भी पेयजल आपूर्ति शुरू नहीं की गई। वहीं अधिकतर इंडिया मार्का हैंडपंप खराब पड़े हैं, जिससे ग्रामीणों को पेयजल संकट का सामना करना पड़ रहा है।
गांव के अंदरूनी रास्ते गड्ढों और जलभराव से भरे हैं। पंचायत भवन और प्राथमिक विद्यालय तक भी पहुंच रास्ते में भरे पानी और कीचड़ के कारण कठिन हो गई है। ग्रामीणों ने कई बार शिकायतें कीं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई।
जिम्मेदारों का बयान
इस मामले में विकास खंड अधिकारी (बीडीओ) धर्मेंद्र कुमार सिंह ने कहा कि, “ग्राम पंचायत भांटी कला के पंचायत भवन और सामुदायिक शौचालय का संचालन नहीं किया जाना गंभीर विषय है। सेक्रेटरी से रिपोर्ट मांगी गई है और दोषी पाए जाने पर कार्रवाई की जाएगी।” उन्होंने यह भी कहा कि गांव के परिषदीय स्कूल में जलभराव की समस्या की जांच कर समाधान निकाला जाएगा।
भांटी कला का उदाहरण यह बताने के लिए काफी है कि योजनाएं कागजों में पूरी हो रही हैं, पर हकीकत में गांव अब भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं। जब तक जिम्मेदार ईमानदारी से अपने कर्तव्यों का निर्वहन नहीं करेंगे, तब तक गांव की विकास यात्रा यूं ही बेपटरी बनी रहेगी।
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